Inderjeet Adhikari, Sirsa करोड़ों रूपये साफ सफाई की मद पर खर्च करने के बावजूद सिरसा शहर की बदहाली सुधरने का नाम नहीं ले रही। कालोनियों की गलियों में पांच-पांच साल में भी एक बार सफाई कर्मचारी नहीं पहुंचता।
सरकारी खजाने से वेतन लेने वाले सफाई कर्मचारियों से शहर में सफाई करवाने की बजाए ‘माननीय’ लोगों द्वारा अपनी कोठियों में काम लिया जाता है। ऐसे में शहर की बदहाल सफाई व्यवस्था के लिए उक्त माननीय ही सीधे-सीधे जिम्मेवार है।
ऐसे में इन माननीय लोगों के नाम सार्वजनिक किए जाने चाहिए ताकि सिरसा की जनता जान सके कि उनकी कालोनी, उनके शहर, उनके वार्ड, उनके बाजार की चौपट सफाई व्यवस्था के लिए कौन-कौन जिम्मेवार है?
सिरसा के विधायक गोकुल सेतिया ने शहर की चौपट सफाई के पीछे के खेल को उजागर करने के लिए औचक जांच की। जांच में 130 सफाई कर्मचारी ड्यूटी से नदारद मिलें। बताया गया कि इनमें से अधिकांश कर्मचारी अधिकारियों, नेताओं व प्रभावशाली लोगों की कोठियों में नियुक्त है। अनेक की तो सर्विस ही नेताओं व अधिकारियों की कोठियों पर काम करते-करते ही पूरी हो चुकी है। उन्हें तो शहर के बारे में ही ज्ञात नहीं है। ऐसे में शहर की साफ-सफाई हो तो कैसे?
उधर, नगर परिषद के सफाई कर्मचारी भी मनमसोस कर इन नेताओं और अधिकारियों की कोठियों पर कार्य करने को विवश है। उन्हें अधिकारिक रूप से नेताओं और अधिकारियों की कोठियों पर कार्य करने के लिए विवश किया जाता है। उन्हें अधिकारियों और नेताओं की जी-हजूरी करनी पड़ती है।
हैरानी की बात तो यह है कि एक तरफ नगर परिषद के अधिकारी सफाई कर्मचारियों की कमी बताते है और दूसरी ओर उनकी आधी फोर्स अधिकारियों-नेताओं व प्रभावशाली लोगों की बेगार में जुटी रहती है।
करोड़ों का ठेका, फिर भी बदहाली
सिरसा नगर परिषद द्वारा कर्मचारियों का टोटा बताकर सफाई का कार्य ठेके पर दिया गया। विभाग के अधिकारियों ने करोड़ों रुपये का ठेका देने के बावजूद ठेकेदार से कभी पूरी तरह से कार्य नहीं लिया। ठेकेदार ने शर्त के अनुसार कर्मचारी नियुक्त किए भी है या नहीं? यह कभी नहीं जांचा गया। यह भी कभी नहीं जांचा गया कि ठेकेदार को जो एरिया दिया गया है, उस एरिया में नियमित रूप से सफाई होती भी है या नहीं? सफाई व्यवस्था में खामी पर टेंडर की शर्तों के अनुसार ठेकेदार पर जुर्माना लगाने से भी गुरेज किया गया।
अधिकारियों से हो वेतन की वसूली
सफाई कर्मचारियों से अपनी कोठियों पर काम लेने वाले अधिकारियों, नेताओं व प्रभावशाली लोगों से इन कर्मचारियों के वेतन की वसूली की जानी चाहिए। साथ ही नगर परिषद के अधिकारियों पर भी कार्यवाही की जानी चाहिए कि उन्होंने किन नियमों के तहत सफाई कर्मचारियों को घरों, कोठियों व बंगलों पर तैनात किया?
प्रोक्सी की भी हो जांच
ठेकेदारों द्वारा नगर परिषद के अधिकारियों के साथ साठगांठ कम कम कर्मचारी नियुक्त कर अधिक का वेतन जारी करवाने से इंकार नहीं किया जा सकता। विधायक गोकुल सेतिया द्वारा औचक जांच में 130 कर्मचारियों की नदारदगी यह साबित करती है कि इनमें अनेक की प्रोक्सी हाजिरी लग रही होगी। यदि रिकार्ड खंगाला जाए तो यह सिद्ध हो सकता है कि नदारद पाए गए कर्मचारियों को नियुक्त ही नहीं किया गया?
न शिकायत पेटिका, न शिकायत रजिस्टर
डिजिटल के दौर में भी सिरसा नगर परिषद की ओर से न तो सफाई के लिए कोई टोल फ्री नंबर मुहैया करवाया गया है और न ही शहर में कहीं शिकायत पेटिका ही लगाई गई है। परिषद अधिकारियों की ओर से कभी भी ठेकेदार का नंबर भी सार्वजनिक नहीं किया गया है। नगर परिषद कार्यालय में शिकायत रजिस्टर पर भी कोई शिकायत दर्ज नहीं की जाती। जो एकाध दर्ज भी की जाती है, उस पर कभी सुनवाई नहीं होती। ऐसे में कैसे सुधरेगी सफाई व्यवस्था?