Inderjeet Adhikari, Sirsa: लोकसभा और विधानसभा में शानदार जीत का प्रदर्शन करने वाली सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा जल्द ही नगर परिषद के चुनाव घोषित किए जाने है। चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है। संभावना है कि फरवरी प्रथम सप्ताह में वोटिंग हों। इन चुनाव को लेकर न केवल राजनीतिक दलों द्वारा बल्कि राजनीति में दखलअंदाजी रखने वालों द्वारा भी तैयारियां शुरू की जा चुकी है।
सिरसा नगर परिषद की चेयरमैनी को लेकर कड़ा मुकाबला तय माना जा रहा है। वैसे तो सिरसा नगर परिषद की चेयरमैनी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है लेकिन इस बार चेयरमैनी के चुनाव सीधे जनता द्वारा किए जाने है। ऐसे में मुकाबला आसान नहीं होगा। सिरसा शहर के 32 वार्डों के मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे और सीधे चेयरमैन चुनेंगे।
पहली बार होगा, जब वार्ड पार्षदों की दखलअंदाजी नहीं होगी। नगर परिषद की चेयरमैनी बड़ा महत्व रखती है, चूंकि इसे ‘छोटी सरकार’ भी माना जाता है। शहर के मुद्दे, शहर के विकास नगर परिषद में ही तय होते है। सरकार द्वारा भेजी जाने वाली ग्रांट भी इसी के माध्यम से ही खर्च होती है।
नगर परिषद पर काबिज होकर ही सरकार चलाई जा सकती है। भले ही केंद्र और प्रदेश में किसी पार्टी की सरकार हो, नगर परिषद में काबिज पार्टी अपने हिसाब से काम कर पाती है।
नगर परिषद की चेयरमैनी के लिए एक तरफ राजनीतिक दलों में मुकाबला होगा, वहीं राजनीतिक प्रभाव रखने वाले कांडा ब्रदर्स भी जोर आजमाइश करेंगे। सेतिया परिवार भी चाहेगा कि चेयरमैनी पर उनका कब्जा हों।
वैसे आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, भाजपा और इनेलो भी चेयरमैनी का दावा करने के लिए चुनाव मैदान में उतरेंगे। निकट भविष्य में नगर परिषद के चुनाव को लेकर तस्वीर अधिक स्पष्ट हो पाएगी।
भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा
भाजपा द्वारा भले ही भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस नीति का दावा किया गया हो लेकिन सिरसा नगर परिषद में पिछले दस वर्षों में भ्रष्टाचार के नए रिकार्ड कायम हुए। करोड़ों के भ्रष्टाचार पर शासन-प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। भाजपाईयों के भी मुंह सीले रहें। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भाजपा को इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी। अब नगर परिषद चुनाव में भी नगर परिषद के भ्रष्टाचार का भाजपा को जवाब देना होगा?