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फर्जी फर्म संचालकों का खेल जारी!

परिजन कर रहें प्रोपर्टी के सौदे!
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fake firms

inderjeet adhikari,sirsa: दशकों तक फर्जी फर्मों का कारोबार संचालित करने वाली 'एमआरपी' तिकड़ी के लोग अपनी बेनामी प्रोपर्टी को खुर्दबुर्द करने में लगे हुए है। फर्जी फर्मों के माध्यम से जुटाई गई धन संपदा के बल पर अनेक स्थानों पर करोड़ों रुपये की प्रोपर्टी फर्जी फर्म संचालकों द्वारा खरीदी गई है। कुछ संपत्तियां पारिवारिक सदस्यों और कुछ बेनामी खरीदी बताई जाती है।      

डीजीपी शत्रुजीत कपूर के विशेष प्रयासों से 'एमआरपी' को सलाखों के पीछे पहुंचाया जा सका। सिरसा पुलिस की एसआईटी फर्जी फर्म संचालकों की प्रोपर्टी का रिकार्ड जुटाने में जुटी है ताकि उसे सीज किया जा सकें। उधर, फर्जी फर्म संचालक अपने रिश्तेदारों व परिवारजनों की मदद से ऐसी प्रोपर्टीज को औने-पौने दामों पर बेचने की कोशिश में लगे है।     

सूत्रों के अनुसार फर्जी फर्मों के सरगनाओं में शुमार रमेश कुमार उर्फ रमेश अरोड़ा की पत्नी कांता रानी द्वारा हाल ही में फतेहाबाद भट्टïू रोड पर रंगोली पैलेस के आसपास की एक प्रोपर्टी का सौदा किया है। यह प्रोपर्टी इसी माह के दूसरे सप्ताह में बेची बताई जाती है। जिसका सौदा करीब 65 लाख का बताया जाता है।

हिसार में करोड़ों का रिसोर्ट!

फर्जी फर्मों के सरगनाओं में शुमार रमेश कुमार उर्फ रमेश अरोड़ा का हिसार में आधार अस्पताल के आसपास एक रिसोर्ट बताया जाता है। जिसकी कीमत 10 करोड़ से अधिक की बताई जाती है। फर्जी फर्मों के मामले में गठित एसआईटी को इस एंगल से भी जांच करने की जरूरत है। ताकि फर्जी फर्मों से कमाई प्रोपर्टी को सीज किया जा सकें।

रमेश के राजदारों में रिश्तेदार!

फर्जी फर्मों के सरगनाओं महेश बांसल व पदम बांसल की भांति रमेश ने भी अपने परिवार के सदस्यों व रिश्तेदारों को इस काले कारोबार का राजदार बनाया। पदम बांसल का बेटा अमित बांसल व पत्नी आशारानी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए है। जबकि महेश बांसल द्वारा साले ऋषि गुप्ता निवासी अबोहर को अपनी फर्म का संचालक बताया। मामा लखीराम निवासी नांगलोई के पास फर्जी फर्मों के दस्तावेज छिपाने स्वीकार किए। पत्नी संगीता बांसल व पुत्रों मोनिल व अंकित के नाम फर्में स्वीकार की।     

जानकारी के अनुसार रमेश अरोड़ा द्वारा अपने काले कारोबार में अपने डबवाली निवासी साढू को राजदार बनाया। बताया जाता है कि साढू ही रमेश के खाते-बही का हिसाब रखता था। इसके साथ ही इस कारोबार में उसका भाई व भतीजा भी शामिल बताया जाता है। एसआईटी को अपने जांच के घेरे में रमेश अरोड़ा के नौकर व मुनीम को भी लेना चाहिए। इनसे फर्जी फर्मों के कारोबार के बड़े रहस्य उजागर हो सकते है।

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