सर्दियों में डिप्रेशन और उदासी का रखें विशेष ध्यान: मनोवैज्ञानिक डॉ रविंद्र पुरी

Adhikari News, Sirsa: सर्दियों के आगमन के साथ जहां बहुत सी अच्छी बाते होती हैं वहीं साथ में  डिप्रैशन और उदासी का आगमन भी हो सकता है। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक और पूर्व प्राचार्य डॉ रविंद्र पुरी ने कहा कि जो लोग पहले भी कभी डिप्रेशन को झेल चुके हैं या जिनकी तबियत ही उदासी वाली है, उनको तो ध्यान रखना ही रखना है आमजन को भी सर्दियों में अपना विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।

डॉ रविंद्र पुरी ने बताया कि सर्दियों में रौशनी अपेक्षाकृत कम होती है जिसके कारण मस्तिष्क में सेरोटोनिन नामक खुशी के केमिकल को पकड़ने वाले तंत्रिका कोशों के रिसेप्टर कम सक्रिय रहते हैं नतीजन ब्रेन में सेरोटोनिन का स्तर कम हो जाता है।जिससे उदासी और डिप्रेशन आ सकता है।

इसी प्रकार से सर्दियों में शारीरिक क्रियाशीलता में बड़ी कमी आती है, एक्टिविटीज कम हो जाती है नतीजन ब्रेन में डोपामिन और सेरोटोनिन की कमी हो जाती है क्योंकि इन की उत्पत्ति का संबंध शारीरिक क्रियाशीलता से भी है।

डॉ पुरी ने कहा कि खुशी का संबंध सामाजिक गतिविधियों से भी होता है।ठंड के कारण व्यक्ति घर से बाहर कम निकलते हैं जिससे से सामाजिक अन्तःक्रिया कम रहने लग जाती है और मस्तिष्क में जुड़ाव का केमिकल ऑक्सीटोसिन कम बहता है और सेरोटोनिन की कमी भी हो जाती है , इस लिए कई बार मन में उदासी दस्तक देने लगती है।

डॉ रविंद्र पुरी ने मनोवैज्ञानिक सलाह देते हुए कहा कि सर्दियों में जब भी मौका मिले प्राकृतिक रौशनी में रहें और अगर ऐसा सम्भव न हो तो घर या काम करने की जगह पर अच्छी खासी रौशनी का प्रबंध रखें। अगर घर से बाहर सैर करना मुमकिन न हो या आप कसरत के लिए जिम न जा पा रहे हों तो कम से कम घर में आधा घंटा कसरत अवश्य करें विशेष रूप से ऐरोबिक्स और रेजिस्टेंट एक्सरसाइज पर विशेष ध्यान दें।

डॉ रविंद्र पुरी ने कहा कि सर्दियों में कई बार सामाजिक संबंधों में भी कम आने जाने या मुलाकाते कम होने के कारण भी उदासी और डिप्रेशन पैदा हो सकता है। इसका बड़ा कारण यह है कि दोस्तों का साथ, परिवार के साथ मस्ती और मिलने जुलने वालों से दुआ सलाम हमे खुशी प्रदान करके डिप्रेशन दूर भगाती है। 

डॉ रविंद्र पुरी ने बताया कि खानपान का भी डिप्रेशन से गहरा संबंध है। Multivitamins, खनिज पदार्थ , अमीनो एसिड और विशेष रूप से प्रोबायोटिक और प्रीबायोटिक से भरी डाइट का सेवन करें। उदासी और डिप्रेशन हमे ज्यादा मीठा खाने के लिए बाध्य करता है , किंतु ज्यादा मीठे से डिप्रेशन में बढ़ोतरी हो सकती है।

उन्होंने कहा कि अगर इस मौसम में  खालीपन लगे, छोटे छोटे काम भी पहाड़ की तरह लगें, ऊर्जा की कमी हो जाए, खानपान और सोने के पैटर्न में  बदलाव आ जाए ,सुबह उठने में दिक्कत हो, बात करने  का मन न करे तो रौशनी , कसरत, सामाजिक संबंध, और खानपान पर ध्यान दें अगर फिर भी कुछ समस्या लगे तो किसी मनोवैज्ञानिक या डॉक्टर से संपर्क करें। ये डिप्रेशन या Seasonal affective disorder हो सकता है।

Leave a Comment